भावनाएं
कुछ लोग सिर्फ बातो मे याद हे
मिलने कि आज उनसे फुरसत कहा
कुछ जगह अब सिर्फ यादों मे बसी है
उनका वर्तमान मे अस्तित्व कहा
कुछ उमर सिर्फ तस्वीरों में कैद हे
वापस जीने का आज वक्त कहा
कितने ही बाते, अधूरे रह गए
आज उन्हें बोलने की हिम्मत कहा
भूल गए कायियोको, यादों के पहेलियों में
ढूंढने ना निकलो, खुद गुम हो जायेगे
वादा किया था जल्दी ही मिलेंगे, आज सालो गुजर गए
ना हमें फुरसत मिला, ना वक्त जुटा पाए
याद बोहोत आती है आपकी, कल तक तो पास ही थे
लगता जैसे कल ही बात है, आज क्यों अकेले रह गए
वो बचपन भी कितना अनोखा था, घर जैसा एक माहोल था
आज कई टुकड़ों में बिखरे, सबको समेटने की कोशिश कहा
– साहिल अहमद महफूज
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The recitation touched me.
It’s beautiful and made me nostalgic.
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